नज़राना इश्क़ का (भाग : 06)
रोज की तरह निमय आज भी कॉलेज, अपने नियमानुसार लेट पहुंचने से थोड़ी देर पहले पहुँचा जहाँ उसका इंतज़ार विक्रम कर रहा था। निमय लंबे डग भरते हुए तेजी से उसकी ओर बढ़ चला, कम से कम उस वक़्त तो यही लग रहा था मगर वह विक्रम को नजरअंदाज कर सीढ़ियों की ओर बढ़ गया, विक्रम को यह बड़ा अजीब लगा, इतने समय तक एक जैसा रहने वाला निमय आज बदलने लगे तो किसे आश्चर्य नहीं होगा!
"अबे ओये कर्पूरगौरं..! तुझे क्या इतना बड़ा इंसान नजर नहीं आता?" विक्रम चिल्लाते हुए उसके पीछे भागा।
"क्या कहा?" निमय एक पल को ठिठका फिर आगे बढ़ चला।
"लो इनको अलग लेवल का नशा करना है, अरे यार मेरा वैट तो कर ले!" विक्रम तेजी से भागते हुए उसके करव्वब पहुँचकर कंधे पर हाथ रखते हुए बोला। "अभी तक सोया हुआ है क्या बे?"
"नहीं! पर अब जागने का मन है।" निमय ने विचित्र तरीके से भौंहे सिकोड़ते हुए कहा।
"क्या कहा? सुबह सुबह फूंक के आया है क्या भाई?" विक्रम को निमय का बर्ताव बहुत अजीब लग रहा था।
"अबे कुछ नहीं चल जल्दी क्लास में पहुंच!" निमय ने उसका हाथ पकड़कर खींचते हुए कहा।
"क्या? आज तेरे को क्लास जाना है? पक्का तू निमय ही है ना? हे भगवान तेरे भी क्या कारनामे हैं!" विक्रम ऊपर की ओर देखते हुए हाथ जोड़ते हुए बोला।
"अबे हाँ! मैं ही हूँ निमय, पूरा नाम निमय शर्मा! आगे बताऊं या इतना काफी है?" निमय ने कंधे उचकाते हुए कहा।
"देख भाई तू गलत जगह आ गया है, मैं जानी नहीं हूँ, पर अपनी ये हरकत अभी के अभी नहीं सुधारा तो जानी दुश्मन बन सकता हूँ।" विक्रम ने उसे घूरते हुए मुँह बिचकाकर बोला।
"जा जा के कहीं मिन्नते फरियाद करोगे…!" निमय ने दोनों हाथ फैलाते हुए गाया।
"जा हमने तुझे माफ किया क्या याद करोगे..!" विक्रम ने उसकी लाइन्स पूरी की। "सेंटी मारना बन्द कर बे, मगर इस बदलाव का राज क्या है?"
"राज़ क्या है? राज़ एक भूतिया फ़िल्म है, एकदम मस्त वाली…..!"
"बस कर भाई! हो गया मिल गया मुझे दिव्यज्ञान अब चल, पता है ना सेशनल्स आने वाले हैं।" कहते हुए विक्रम उसके आगे बढ़ गया।
"अबे हाँ यार! अब तो पढ़ाई करनी पड़ेगी!" निमय का सड़ा सा चेहरा बन गया।
"डोंट वरी ड्यूड! तू तो बिना पढ़े भी टॉप करता है हाहाहा..!!" कहते हुए विक्रम उसे खींचकर क्लास तक ले आया।
"हाँ चल भाई, अब पढ़ाई करने का है, और हाँ थैंक यू!" निमय ने विक्रम से मुस्कुराते हुए कहा। विक्रम उसे फाड़ खाने वाली निगाहों से घूरने लगा। 'मुझे खुद समझ नहीं आ रहा कि मैं रोज की तरह लेट आकर भी आज जल्दी कैसे पहुंच गया, मुझे इस चीज को रोकना होगा, कूल निमय! वैसे भी ये बात मुझे पता है।' निमय खुद से ही बात करने में लगा हुआ था, वह जाकर अपनी सीट पर बैठ गया। सभी आज उसे पहले पीरियड की क्लास में बैठते देख हैरान थे, सबकी निगाहें उसकी ओर थी, जाह्नवी भी उसे आंखे फाड़ फाड़कर घूरे जा रही थी मगर उसकी नजर सिर्फ फरी पर थी, जो इस वक्त उसे ही देखे जा रही थी। 'यार वो मुझे ही देख रही है, जाने दो.. बाकी सब देख रहे हैं इसलिए देख रही होगी वो तो महान पढ़ाकू है, मेरे जैसे लड़के पर ध्यान क्यों देगी भला!' अपने आप को समझाते हुए निमय किताब निकालकर पढ़ाई करने लगा।
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करीब दो सप्ताह बाद..!
सभी के एग्जाम्स हो चुके थे, आज सभी को उनका ग्रेड और मार्क्स बताया जाना था, सभी स्टूडेंट्स उत्सुकता से एनाउसमेंट का इंतजार कर रहे थे, मगर उनमें आधे से ज्यादा में अपने मार्क्स के बजाए फरी और जाह्नवी में कौन आगे निकला इसका इंतजार कर रहे थे। थोड़ी देर बाद एनाउसमेन्ट हुआ, फर्स्ट फरी और सेकंड जाह्नवी, थर्ड निमय…… !
आज जाह्नवी काफी अपसेट नजर आ रही थी, उसके अंदर आग सी धधक रही थी मगर चेहरे पर हल्की उदासी छाई हुई थी, उसने पूरी कोशिश की थी मगर एक छोटी सी गलती से उसका एक मार्क कट गया, जिस वजह से फरी आज फर्स्ट हो गई। ना जाने क्यों उसके मन में फरी के प्रति घृणा बढ़ती जा रही थी। फरी ने फर्स्ट आने पर भी खुशी जाहिर न की, वह आज भी रोज की शांति से बैठकर पढ़ने में लगी हुई थी, जबकि निमय इशारों में जाह्नवी को चिढ़ा रहा था, जिससे जाह्नवी का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। पूरा क्लास फरी के फर्स्ट आने पर सेलिब्रेट कर रहा था, हर कोई यूं ही झूठी तारीफ कर उससे दोस्ती करना चाहता था मगर फरी ने किसी पर कोई ध्यान नहीं दिया, बस सभी को थैंक्यू बोली और पढ़ाई में लग गई।
"आज की ताजा खबर.. टॉपर बनी शो स्टॉपर!" एक लड़का चिल्लाते हुए गुजरा यह देखकर निमय जोर से हंसने लगा, जाह्नवी का गुस्सा बढ़ता जा रहा था।
'देख लूंगी मैं इस फरी की बच्ची को, आज इसे खूब इनकरेजमेंट मिल रहा है, खूब उड़ रही है चिड़िया! एक एक को देख लूंगी मैं!' जाह्नवी का दिमाग गुस्से से भरा हुआ था, उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। निमय अभी भी उसे चिढ़ाने में लगा हुआ था।
"क्यूं गधी? कौन बना टॉपर?" निमय खीखी कर खींस निपोरते हुए बोला।
"चुप हो जा यार बस एक ही नंबर तो कम है!" विक्रम निमय को शांत रहने का इशारा करते हुए बोला।
"जो रातभर हम नहीं सोते, तो लूजर हम नहीं होते…!" निमय अपने कनपटी पर अंगूठा रख हाथ नचाते हुए बोला।
"तुझे तो देख लूंगी निम्मी के बच्चे!" कहते हुए जाह्नवी क्लास से बाहर निकल गई।
"क्या यार उसे नाराज कर दिया!" विक्रम ने उसके जाने के बाद निमय से नाराजगी भरे स्वर में कहा।
"अरे चिल ब्रो! उसे इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता, उसे तंग करने में मजा आता है इसलिए तो करता हूं।" निमय ने हंसते हुए जवाब दिया।
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शाम को घर पर,
निमय अपने कमरे में चुपचाप बैठा हुआ किताब के पन्ने पलट रहा था, ना जाने क्यों उसे अंदर से बुरी बुरी फीलिंग्स आ रही थीं। सीने में अजीब सा कसक उठ रहा था, वह अभी अभी छत से टहल के आया था मगर कोई राहत न मिली, उसे ऐसा महसूस हो रहा था मानो उसका एक हिस्सा किसी तकलीफ़ में हो, वह इसको इग्नोर कर किसी दूसरे काम में मन लगाना चाहता था मगर वह बार बार बुरी तरह असफल हो रहा था।
थोड़ी ही देर में जाह्नवी आई, मगर कमरे में आने के बजाए सीधा किचन में चली गई जहां उसकी मम्मी उनके लिए नाश्ता तैयार कर रही थीं, उसकी आंखो में आंसू थे, चेहरा सुर्ख लाल था। किचन में जाते ही वो सुबकने लगी।
"क्या हुआ बेटा? ऐसे उदास क्यों है?" मिसेज शर्मा ने बड़े प्यार से पूछा।
"कुछ नहीं..!" जाह्नवी ने धीरे से कहा और मुड़कर जाने लगी।
"कुछ तो हुआ है वरना मेरी शेरनी बिटिया की आंखो में भूलकर भी कभी आंसू नहीं आते।" मिसेज शर्मा जी ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा, जब उनकी नजर उसके चेहरे पर पड़ी तो वो हैरान रह गई। "क्या हुआ बेटा? ये क्या हुआ तुझे?"
"मम्मी!" कहते हुए जाह्नवी अपने मम्मी के गले लग गई। निमय अपने कमरे से यह सब सुन रहा था।
"अरे कुछ ना हुआ मम्मा, बस एक नंबर कट गया इसका उसी का दुख है!" निमय मुंह बनाकार शिकायती लहजे में बोला।
"बस इतनी सी बात है क्या बेटा!" मिसेज शर्मा ने उसके बालों को पीछे कर गाल सहलाते हुए कहा, उनकी नजर जाह्नवी के कंधे पर पड़ी, जहां उसका सूट हल्का सा फटा हुआ था।
"ये क्या हुआ बेटा!" मिसेज शर्मा की आंखो में बादल बाहर आए।
"म…...मम्मी!" जाह्नवी के मुख से बोल नहीं फूटे, वह अपनी मम्मी से लिपटकर रोने लगी, अब तक निमय किचन में आ चुका था।
"किसने क्या ये?" निमय की आंखों में लहू उतर आया!
"मुझे नहीं पता, वो वहीं पार्क के पास बैठे रहते हैं!" जाह्नवी ने सुबकते हुए जवाब दिया।
"अभी कहां है?" निमय ने उसकी आंखो में देखते हुए पूछा।
"वहीं!" जाह्नवी और कुछ न बोली, निमय बिजली की तेजी से वहां से मुड़ा, स्टोर रूम से एक विकेट स्टिक निकाला और तेजी से घर से बाहर निकल गया।
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पार्क के पास कुछ लफंगे आती जाती लड़कियों से बदतमीजी कर रहे थे, कुछ लड़कियां वहां से भागती हुई बच निकलने की कोशिश करती। सिगरेट पीते हुए, धुएं के छल्ले उड़ते हुए वो सभी अपने आप को हीरो समझ रहे तो जो हर आती जाती लड़की को कभी निगाहों से तो कभी हाथों से छेड़ रहे थे। ये दूसरे कॉलेज के आवारा लड़के थे जो आजकल इस पार्क को अपना अड्डा बनाए बैठे थे। गुस्से से आग बबूला हुआ निमय पार्क में पहुंचा। उस वक्त एक लफंगा एक लड़की को छेड़ रहा था।
"ओए चिकनी चमेली, कभी मिल न अकेली..!" बाइक की सीट पर पसरे हुए धुआं उड़ाकर वाह लड़का बोला, मगर लड़की उसे नजरंदाज कर वहां से तेजी से निकल गई।
"तुम में से जो मर्द का बच्चा है वो एक साइड हो जाए!" निमय विकेट स्टिक को वही गाड़ते हुए बोला।
"तू कौन है बे फटीचर!" एक ने उसके मुंह पर धुआं उगला।
"अभी इधर से जा रही लड़की को किसने छेड़ा?" निमय गुस्से से चिल्लाया।
"कूल भीड़ू, अब इधर से कितनी लड़की आ रही है, जा रही है, सबका ब्योरा थोड़े है अपन के पास!" एक ने उसकी आंखो में झांकते हुए कहा। मगर प्रत्युत्तर में निमय के जोरदार घूसे ने उसका जबड़ा हिला दिया, वह लड़का दूर जा गिरा।
"उम्मीद करता हूं तुम्हें जल्दी ही याद आ जाए!" निमय उसकी ओर बढ़ते हुए बोला।
"रे मारो रे इसको! साला हीरो बन रहा है।" नीचे गिरा हुआ लड़का उठते हुए चिल्लाया, उसके सभी साथी निमय की ओर बढ़ चले।
निमय ने अपना पैर पीछे किया, दो कदम पीछे गया, यह देखकर वो सभी चारों-पांचों लड़के शैतानी हंसी लिए उसकी ओर बढ़े। निमय अपने जगह पर ठिठक गया, उसका दाहिना हाथ पीछे गया, होंठो पर गजब की मुस्कान नजर आने लगी, उसके हाथो में विकेट स्टिक थी। यह देखकर उन सभी के चेहरे का रंग उड़ने लगा, निमय किसी भूखे भेड़िए की तरह उनपर झपटा। उसके शक्तिशाली वार ने एक की खोपड़ी खोल दी, उसका सिर फट चुका था, वह जमीन पर पसर गया।
"सालों, बहन है वो मेरी, मेरी जान है वो! उसे गंदी नजर से देखने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी? तुम में से किसके हाथों ने उसके शरीर तक पहुंचने की जुर्रत की?" निमय शेर की भांति दहाड़ रहा था, एक लफंगा इसके पीछे से किक मारने बढ़ा मगर निमय बड़ी फुर्ती से बचते हुए उसके घुटनों पर जोरदार वार किया, वो जोर से चीखते हुए जमीन पर ढेर हो गया।
"मेरी बहन की आंखो में आंसू लाने का हक किसी को नहीं है, चाहे वो भगवान ही क्यों न हो? तुम कौन होते हो कुत्ते के पिल्लों!" निमय गुस्से से चीखते हुए सभी को बेरहमी से पीटे जा रहा था। उन सभी की हालत खराब हो चुकी थी, बिचारों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक अकेला लड़का उनकी ये गत बना देगा। अब तक वहां कईयों की भीड़ जुट चुकी थी।
"माफ कर दो भैया अब से हम आपकी बहन तो क्या किसी भी लड़की को बुरी नजर से नहीं देखेंगे, ना ही बुरा सुलूक करेंगे!" एक लफंगे ने हाथ जोड़ते हुए कहा।
"भैया! अब से आपकी बहन, हमारी भी बहन!" दूसरे ने मस्का मारकर उसका क्रोध शांत करने के लिए कहा।
"अये साले! दुबारा भूल से भी मत बोलना ये बात!" निमय ने विकेट का नुकीला सिरा उसके हथेली के उल्टी तरफ रखकर दबाते गया।
"आह! भैया.. अब क्या हुआ? माफ कर दो प्लीज!" वह लड़का दर्द से तिलमिलाते हुए बुरी तरह गिड़गिड़ाने लगा।
"वो सिर्फ मेरी बहन है समझे!" निमय उसे दहकती आंखो से घूरते हुए बोला। "मेरी बहन सिर्फ मेरी बहन है, वो मेरी जान है, किसी ने उसे एक खरोंच पहुंचाने की कोशिश भी की ना तो अंजाम बहुत बुरा होगा।" वह जोर से दहाड़ते हुए भीड़ से बाहर निकलने लगा।
"और आप लोग अगर यहां इनकी छिछोरी हरकते देखकर इनको सुधारने की कोशिश करते तो शायद आज इनकी ये हालत ना होती, यहां सबको मारपीट देखने आ जाना है लेकिन अपने समाज में अपने घर में अपनी बहन बेटियों के साथ क्या गलत हो रहा है ये देखने में सबकी मैय्या मर जाती है! और लड़कियों तुम भी इन जैसों को सुधार सकती हो, इग्नोर की एक लिमिट होती है, लड़की हो तो हिरनी नहीं शेरनी बनो...।" कहता हुआ वह हाथ में विकेट स्टिक लिए भीड़ को चीरता हुआ निकल गया, इस वक्त उसकी आंखों में हल्के आंसू थे, उसे एहसास हो रहा था कि आखिर उसका मन क्यों नहीं लग रहा था, अभी उसे बहुत करना बाकी था।
क्रमशः…..
shweta soni
29-Jul-2022 11:35 PM
Nice 👍
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🤫
26-Feb-2022 09:51 AM
बहुत खूबसूरत कहानी जा रही है। सही है कब दिल के कोई बहुत करीब शख्स तकलीफ में होता है बैचेनी हो ही जाती है। निमय और जाह्नवी का रिश्ता भी ऐसा ही है।
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मनोज कुमार "MJ"
26-Feb-2022 12:13 PM
Thank you so much jii 🥰🥰
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Inayat
17-Jan-2022 04:34 PM
बहुत ही बेहतरीन....
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मनोज कुमार "MJ"
26-Feb-2022 12:13 PM
Thank you so much ma'am 🥰
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